साहस और विश्वास: एक मिनट में बड़ी बात
सुप्रभात, सभी को!
आज हम बात करेंगे साहस और विश्वास की—यानी वो शक्ति जो हमें अपने सही सिद्धांतों पर अडिग रहने की प्रेरणा देती है, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हो।
नेल्सन मंडेला ने कहा था, “बड़ा काम हमेशा असंभव लगता है जब तक कि यह पूरा न हो जाए।” उन्होंने 27 साल जेल में बिताए, फिर भी अन्याय के खिलाफ अपनी लड़ाई कभी नहीं छोड़ी।
महात्मा गांधी ने सत्य की ताकत पर विश्वास किया और अपने विचारों पर दृढ़ता से खड़े रहे। उन्होंने कहा था, “कोमलता से भी आप दुनिया को हिला सकते हैं।”
विंस्टन चर्चिल ने भी अपने देशवासियों से कहा था, “कभी हार मत मानो, कभी नहीं, कभी नहीं, कभी नहीं!” उनका यह अडिग साहस द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उनके देश को अंधकार से बाहर निकालने में सहायक हुआ।
ओशो ने समाज से बहुत सी चुनौतियाँ झेलीं, पर उन्होंने अपने विचारों को व्यक्त करने का साहस नहीं छोड़ा।
गुरु तेग बहादुर जी ने अपने सिद्धांतों की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया और औरंगज़ेब के अत्याचारों के आगे कभी झुके नहीं।
भाई मति दास को आरी से चीर दिया गया, लेकिन उन्होंने अपने धर्म से पीछे हटने से इनकार कर दिया। भाई दयाल को उबलते हुए कड़ाह में डाल दिया गया, फिर भी उन्होंने अपने विश्वास से समझौता नहीं किया।
सच्चा साहस केवल लड़ाई लड़ने में नहीं होता—यह अपने आदर्शों पर अडिग रहने में होता है। हमें इन महान व्यक्तित्वों से प्रेरणा लेकर हर दिन साहस और विश्वास के साथ जीना चाहिए।
धन्यवाद!