धार्मिक व्यक्तित्व के परलोक गमन पर
यद्यपि साधु संतों के देहांत का शोक नहीं किया जाता फिर भी प्रिय भक्तों को यह बताना जरूरी हो जाता है कि एक प्रकाश पुंज हमारे बीच से चला गया है।
परम पूज्य संत श्री रामसुखदास जी अनंत में विलीन हो गए। गुरुदेव के जीवन में ईश्वर प्रेम और मानवता की सेवा के आदर्श को पूर्ण अभिव्यक्ति मिली।
यद्यपि उनके जीवन का अधिकांश भाग पर्यटन करते हुए बिताया लेकिन अंत में उन्होंने ऋषिकेश को अपनी तपोभूमि बना लिया।
फिर भी वे भारत के महान संतों में अपना स्थान रखते हैं। ऐसे संत सदियों में मानवता का कल्याण करने के लिए जन्म लेते हैं। उनका काम लगातार बढ़ता और सूर्य की तरह चमकता रहता है, हर जगह से लोगों को आत्मा की तीर्थयात्रा के रास्ते पर खींच लाता है।
ओम शांति